
भारत में सिगरेट पर प्रतिबंध क्यों नहीं? – आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक कारण
भारत में तंबाकू उत्पादों, विशेष रूप से सिगरेट, पर प्रतिबंध लगाने की मांग अक्सर उठती रहती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि धूम्रपान से कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की गंभीर बीमारियाँ होती हैं, जिससे देश में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। फिर भी, भारत सरकार ने सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। इसके पीछे कई जटिल आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक कारण हैं, जिनमें राजस्व का नुकसान, कालाबाजारी का खतरा, रोजगार पर प्रभाव और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों की व्यावहारिक चुनौतियाँ शामिल हैं।
1. आर्थिक कारण: तंबाकू उद्योग से भारी राजस्व
(क) सरकार को होने वाली आय
भारत सरकार तंबाकू उत्पादों पर भारी कर (एक्साइज ड्यूटी और GST) लगाती है, जिससे प्रतिवर्ष हज़ारों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।
- सिगरेट उद्योग से राजस्व: लगभग 35,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष (एक्साइज ड्यूटी, GST और अन्य करों के माध्यम से)।
- सम्पूर्ण तंबाकू उद्योग का आर्थिक योगदान: लगभग 11 लाख करोड़ रुपये (इसमें कृषि, निर्माण, खुदरा और निर्यात शामिल हैं)। यह राशि TCS जैसी बड़ी कंपनी के मार्केट कैप के बराबर है।
अगर सिगरेट पर प्रतिबंध लगता है, तो सरकार को इस राजस्व का भारी नुकसान होगा, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सरकारी खर्च प्रभावित हो सकता है।
(ख) कृषि और रोजगार पर प्रभाव
तंबाकू की खेती लाखों किसानों की आजीविका का स्रोत है। भारत में लगभग 6 लाख हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती होती है, और यह उद्योग 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है।
- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में तंबाकू किसानों की बड़ी आबादी है।
- अगर सिगरेट बैन होती है, तो इन किसानों के सामने आय का संकट पैदा हो जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
2. सामाजिक और व्यावहारिक चुनौतियाँ
(क) कालाबाजारी और अवैध व्यापार का खतरा
अनुभवों से पता चला है कि जब किसी लोकप्रिय उत्पाद पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो उसकी अवैध तस्करी बढ़ जाती है।
- उदाहरण: नेपाल और भूटान जैसे देशों में सिगरेट पर प्रतिबंध के बावजूद, भारत से तस्करी के जरिए वहाँ सिगरेट पहुँचती है।
- भारत में संभावित प्रभाव: एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर सिगरेट बैन होती है, तो 10 करोड़ से अधिक धूम्रपान करने वाले भारतीय अवैध बाजार का सहारा लेंगे। इससे नकली और घटिया गुणवत्ता वाले उत्पाद बिकने लगेंगे, जो और भी ज्यादा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होंगे।
- अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा: तंबाकू तस्करी माफिया और अवैध व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है, जैसा कि शराब प्रतिबंध के दौरान कई राज्यों में देखा गया।
(ख) जनता की आदतों में बदलाव की चुनौती
भारत में लगभग 27 करोड़ लोग किसी-न-किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 10 करोड़ से अधिक लोग सिगरेट पीते हैं।
- नशे की लत को एकदम से खत्म करना मुश्किल है। अगर सिगरेट अचानक बैन हो जाए, तो लोग दूसरे नुकसानदायक विकल्पों (जैसे बीड़ी, गुटखा या अवैध सिगरेट) की ओर मुड़ सकते हैं।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों का प्रभाव: सरकार का फोकस धीरे-धीरे जागरूकता फैलाने और धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों (जैसे “छोड़ो सिगरेट, जीतो जिंदगी” अभियान) पर है, ताकि लोग स्वेच्छा से इस आदत को छोड़ें।
3. सरकार की वर्तमान नीतियाँ और वैकल्पिक समाधान
सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय, भारत सरकार ने कई नियामक उपाय किए हैं, जैसे:
(क) कर बढ़ाकर धूम्रपान कम करना
- सिगरेट की कीमतें बढ़ाकर (उच्च एक्साइज ड्यूटी) सरकार का उद्देश्य धूम्रपान की खपत को कम करना है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने से धूम्रपान करने वालों की संख्या कम होती है, खासकर युवाओं में।
(ख) सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है।
- पैक पर चेतावनी और ग्राफिकल इमेज अनिवार्य की गई हैं।
(ग) जागरूकता अभियान
- सरकार “तंबाकू मुक्त भारत” जैसे अभियान चलाती है, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को जागरूक किया जाता है।
- नशा मुक्ति केंद्र (De-addiction centers) की स्थापना की गई है, जहाँ लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष: क्या सिगरेट बैन सही समाधान है?
सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना एक आदर्श समाधान लग सकता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से यह कई नई समस्याएँ पैदा कर सकता है। इसके बजाय, सरकार का वर्तमान दृष्टिकोण “नियंत्रण और जागरूकता” पर आधारित है, जिसमें:
✔ धूम्रपान की दर को कम करने के लिए कर बढ़ाना
✔ युवाओं को तंबाकू से दूर रखने के लिए शिक्षा और अभियान
✔ किसानों को तंबाकू के विकल्प देने की योजना (जैसे अन्य फसलों के लिए प्रोत्साहन)
इस तरह, सरकार एक संतुलित नीति अपना रही है, जो आर्थिक हितों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच समन्वय बनाती है। हालाँकि, भविष्य में तंबाकू मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए और अधिक सख्त नियमों और बेहतर विकल्पों की आवश्यकता होगी।