
सोने की शुद्धता और हॉलमार्क: एक विस्तृत विवरण
प्रस्तावना
सोना (Gold) विश्वभर में मूल्यवान और प्रतिष्ठित धातु माना जाता है। भारत में तो सोना केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व रखता है। लेकिन सोने की शुद्धता को पहचानना आम उपभोक्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) ने हॉलमार्किंग (Hallmarking) प्रणाली को अपनाया है, जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है।
हॉलमार्क क्या है?
हॉलमार्क सोने के आभूषणों पर लगा एक प्रमाणन चिह्न होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आभूषण में उल्लिखित कैरट (Karat) के अनुसार ही सोने की शुद्धता मौजूद है। यह प्रणाली उपभोक्ताओं को नकली या मिलावटी सोने से बचाती है। हॉलमार्किंग में सोने की शुद्धता को भाग प्रति हज़ार (Parts per Thousand – PPT) में दर्शाया जाता है।
सोने की शुद्धता और कैरट का महत्व
सोने की शुद्धता को कैरट (Karat – K) में मापा जाता है। 24 कैरट सोना शुद्धतम माना जाता है, लेकिन यह नरम होने के कारण आभूषण बनाने के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसलिए, इसे अन्य धातुओं (जैसे चांदी, तांबा या जस्ता) के साथ मिलाकर मजबूत बनाया जाता है। विभिन्न कैरट के सोने की शुद्धता निम्न प्रकार है:
कैरट (K) | शुद्धता (PPT) | शुद्ध सोने का प्रतिशत (%) |
---|---|---|
24K | 999 | 99.9% |
23K | 958 | 95.8% |
22K | 916 | 91.6% |
21K | 875 | 87.5% |
18K | 750 | 75.0% |
- 24 कैरट (999): यह शुद्धतम सोना होता है, जिसमें 99.9% सोना होता है। यह आभूषणों में कम उपयोग किया जाता है क्योंकि यह बहुत नरम होता है।
- 22 कैरट (916): भारत में सबसे अधिक बिकने वाला सोना। इसमें 91.6% सोना होता है और यह आभूषणों के लिए आदर्श माना जाता है।
- 18 कैरट (750): पश्चिमी देशों में अधिक प्रचलित। इसमें 75% सोना होता है और यह अधिक टिकाऊ होता है।
हॉलमार्क के प्रमुख घटक
हॉलमार्क में चार प्रमुख तत्व होते हैं:
- BIS लोगो – भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards – BIS) का प्रतीक चिह्न।
- शुद्धता मात्रा – सोने की शुद्धता (जैसे 916, 750)।
- हॉलमार्किंग सेंटर का चिह्न – जिस केंद्र पर आभूषण की जाँच हुई।
- ज्वैलर का पहचान चिह्न – जौहरी/निर्माता का लोगो या कोड।
हॉलमार्किंग की आवश्यकता क्यों?
- मिलावट से सुरक्षा: बाजार में नकली या कम शुद्धता वाले सोने की बिक्री आम है। हॉलमार्क उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाता है कि वे शुद्ध सोना खरीद रहे हैं।
- मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता: हॉलमार्क यह सुनिश्चित करता है कि ग्राहक को सोने के वजन और शुद्धता के अनुसार सही मूल्य मिले।
- विश्वसनीयता: BIS द्वारा प्रमाणित हॉलमार्क आभूषणों की गुणवत्ता की गारंटी देता है।
भारत में हॉलमार्किंग नियम
भारत सरकार ने 1 जून 2021 से हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। नए नियमों के अनुसार:
- 14K, 18K, 22K और 24K सोने के आभूषणों को हॉलमार्क कराया जाना अनिवार्य है।
- 2 ग्राम से कम वजन के आभूषणों को छूट दी गई है।
- जौहरियों को BIS द्वारा मान्यता प्राप्त करनी होती है।
हॉलमार्क सोना खरीदते समय सावधानियाँ
- हॉलमार्क चिह्न की जाँच करें: आभूषण पर BIS लोगो, शुद्धता संख्या और हॉलमार्क सेंटर का निशान देखें।
- बिल और टैग सुरक्षित रखें: खरीदारी के समय मिले बिल और हॉलमार्क टैग को सुरक्षित रखें, भविष्य में यह उपयोगी हो सकता है।
- विश्वसनीय जौहरी से खरीदें: केवल BIS-प्रमाणित दुकानों से ही सोना खरीदें।
निष्कर्ष
हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं के हित में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सोने की शुद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। भारत जैसे देश में, जहाँ सोना केवल एक धातु नहीं बल्कि भावनाओं और निवेश से जुड़ा है, हॉलमार्किंग ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करता है। अतः सोना खरीदते समय हॉलमार्क वाले आभूषणों को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि आपका निवेश सुरक्षित रहे।
इस प्रकार, हॉलमार्क सोने की शुद्धता का एक विश्वसनीय प्रमाण है, जो उपभोक्ताओं को नकली सोने से बचाता है और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।