
2010 बनाम 2025: कैसे आसमान छू रही है महंगाई
आज के समय में महंगाई एक ऐसा मुद्दा बन चुकी है जिससे हर कोई परेशान है। 2010 से लेकर 2025 तक कीमतों में जो उछाल आया है, वह साफ दिखाता है कि आम आदमी की जेब पर कितना बोझ बढ़ गया है। पेट्रोल से लेकर घर के किराए तक, शिक्षा से लेकर तकनीक तक, हर चीज़ की कीमत कई गुना बढ़ चुकी है। आइए, एक नजर डालते हैं कि 2010 और 2025 के बीच किन-किन चीजों की कीमतों में कितना अंतर आया है और इस महंगाई ने आम जनता के जीवन को कैसे प्रभावित किया है।
1. पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें
2010 में पेट्रोल की कीमत लगभग 51 रुपये प्रति लीटर थी, जबकि 2025 में यह 110 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच चुकी है। यानी 15 सालों में पेट्रोल की कीमत में 115% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। डीजल की कीमतें भी इसी तरह बढ़ी हैं। इसका सीधा असर यातायात, सामानों की ढुलाई और दैनिक जीवन पर पड़ा है।
2. दूध और रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं में उछाल
2010 में दूध की कीमत लगभग 24 रुपये प्रति लीटर थी, जो 2025 में 65 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच गई है। दालें, चावल, तेल और सब्जियों की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण मुद्रास्फीति, किसानों की बढ़ती लागत और आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएँ हैं।
3. मनोरंजन पर बढ़ता खर्च
2010 में एक फिल्म की टिकट की कीमत लगभग 85 रुपये थी, लेकिन 2025 में यह 350 रुपये या उससे भी अधिक हो गई है। मल्टीप्लेक्स और प्रीमियम सिनेमा हॉल्स में तो यह कीमत 500-1000 रुपये तक पहुँच जाती है। इसके अलावा, OTT प्लेटफॉर्म्स (Netflix, Amazon Prime) की सदस्यता भी महंगी हो गई है, जिससे मनोरंजन का खर्च बढ़ गया है।
4. घर के किराए में भारी वृद्धि
2010 में एक छोटे से घर का किराया शहरों में लगभग 3000 रुपये प्रति माह था, लेकिन 2025 में यह 35,000 रुपये प्रति माह तक पहुँच चुका है। महानगरों जैसे मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में तो यह और भी अधिक है। इसका कारण जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और जमीन की बढ़ती कीमतें हैं।
5. तकनीकी उपकरणों की बढ़ती कीमतें
2010 में एक आईफोन की कीमत लगभग 35,000 रुपये थी, लेकिन 2025 में नवीनतम मॉडल्स 80,000 रुपये से 1,50,000 रुपये तक में बिक रहे हैं। इसी तरह, लैपटॉप, टीवी और अन्य गैजेट्स की कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
6. शिक्षा का बढ़ता खर्च
2010 में एक साल की स्कूल फीस लगभग 30,000 रुपये थी, जो 2025 में 1,50,000 रुपये तक पहुँच गई है। प्राइवेट स्कूलों और कॉलेजों की फीस में भारी वृद्धि हुई है, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अच्छी शिक्षा दिलाना मुश्किल हो गया है।
7. गैस सिलेंडर और इंटरनेट के दाम
2010 में एक गैस सिलेंडर की कीमत 600 रुपये थी, जो 2025 में 950 रुपये हो गई है। इसी तरह, इंटरनेट की कीमत भी 250 रुपये प्रति माह से बढ़कर 800 रुपये प्रति माह तक पहुँच गई है।
महंगाई के कारण और प्रभाव
महंगाई बढ़ने के कई कारण हैं, जैसे:
- मुद्रास्फीति (पैसे की कीमत घटना)
- तेल की कीमतों में वृद्धि
- आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएँ
- सरकारी नीतियाँ और टैक्स
- मांग और आपूर्ति का असंतुलन
इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। लोगों को अपनी बचत कम करनी पड़ रही है, EMI और कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, और जीवनयापन मुश्किल होता जा रहा है।
निष्कर्ष
2010 से 2025 तक कीमतों में हुई वृद्धि साफ दिखाती है कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। सरकार को इस पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, वरना आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।